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मोतियाबिंद सर्जरी

introduction

मोतियाबिंद सर्जरी क्या होती है?

जब आँख का प्राकृतिक क्रिस्टलाइन लेंस अपारदर्शी (धुंधला) हो जाता है तो उस रोग को व्यापक रूप से मोतियाबिंद कहा जाता है। यह दृष्टि मार्ग को रोकता है जिससे आपकी नज़र धुंधली हो जाती है। मोतियाबिंद (Motiyabindoo) अधिकतर बुजुर्गों में होता है; हालांकि यह बच्चों में भी हो सकता है। यदि इसका उपचार नहीं कराया गया, तो इससे अंधापन आ सकता है।

सौभाग्य से, इस अंधेपन से उत्पन्न आँख के रोग को पुनः ठीक किया जा सकता है। जब धुंधली नज़र से जीवन की हररोज का काम बाधित होने लगे, तो उसी समय नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लेकर मोतियाबिंद (Motiyabindoo) का ऑपरेशन करायें। इसके अलावा, यह समझना होगा है कि मोतियाबिंद की सर्जरी कराने में देरी करने पर आँख में अधिक दबाव, ऑप्टिक डिस्क में नुकसान, ग्लूकोमा जैसी नेत्र संबंधित अन्य जटिलताएं हो सकती है।

अपने नेत्र चिकित्सक द्वारा उचित समय पर मोतियाबिंद सर्जरी की सलाह देकर ऑपरेशन किया जायेगा। इस संपूर्ण प्रक्रिया व मोतियाबिंद सर्जरी में 20-30 मिनट से कम समय लगता है। इसका मतलब है कि आपको अस्पताल में रातभर रूकने की ज़रूरत नहीं है।

मोतियाबिंद सर्जरी के लिए किस प्रकार की तैयारी करें

  • मोतियाबिंद सर्जरी में कुछ शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक रूप से तैयारी व पैसे का बंदोबस्त करना पड़ता है। इसलिए मोतियाबिंद सर्जरी के लिए परामर्श करते समय अपने पारिवारिक सदस्य या खास दोस्त का साथ में रहना आवश्यक है। इसके जरिये आप मोतियाबिंद सर्जरी के लिए उचित प्रकार व उचित लेंस चयन का निर्णय ले सकते हैं।
  • मोतियाबिंद सर्जरी कराने से पहले, चिकित्सक द्वारा अपना फिटनेस मूल्यांकन कराकर यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके शरीर का काम करना, और ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, ईसीजी जैसे सामान्य मापदण्ड सही ढंग से काम कर रहे हो।
  • आपके नेत्र विशेषज्ञ या चिकित्सक द्वारा आपकी सर्जरी करने से पहले कुछ दवाओं के सेवन को बंद करने के लिए कहा जा सकता है।

 

मोतियाबिंद सर्जरी कराने से पहले

  • आपके नेत्र विशेषज्ञ द्वारा कहा जा सकता है कि आप सर्जरी से कुछ समय पहले कुछ भी खाये या पीये नहीं।
  • संक्रमण जोखिम को कम करने के लिए, आपकी निर्धारित सर्जरी के दिन से एक दिन पहले एंटीबायोटिक्स आई ड्रोप्स दी जा सकती है।
  • आपके परिजन को मोतियाबिंद सर्जरी के दिन अस्पताल में अपने साथ ठहरने के लिए सुनिश्चित करें। इससे आपको मानसिक मदद मिल सकती है, वे आपको कुछ पेपर वर्क व स्वीकार करने की प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि आप बिना किसी परेशानी या खाद्य सामग्री के ठीक होकर वापस घर जा सकते हैं। 

 

मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान

मोतियाबिंद सर्जरी तुरंत की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसका मतलब है कि आप एक ही दिन में एक घंटे के अंतर्गत ठीक होकर वापस घर जा सकते हैं। अस्पताल में प्रवेश-बाहर निकलने की सम्पूर्ण प्रक्रिया में लगभग दो से तीन घंटें लगते हैं।

 

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद

  • निर्धारित दवाओं का इस्तेमाल व निर्देशों का पालन करें। आप इस अस्पताल के चिकित्सक से पूछे बगैर अन्य किसी भी दवाओं का इस्तेमाल न करें।
  • यदि आपको ऑपरेशन की गई आँख में दर्द, रोशनी से परेशानी, आँख में पानी बहना या लाल है, तो तुरंत अपने नेत्र चिकित्सक को बतायें।
  • आगामी जाँच सत्र का पालन करना न भूलें।

 

मोतियाबिंद/कैटरैक्ट सर्जरी के बाद आँख की देखभाल

  • आँखों को हाथों से न छूयें।
  • प्रतिदिन गर्दन से नीचे तक स्नान करें और 10 दिन बाद शेव करें।
  • रूई को दस मिनट तक उबलते पानी रखें। इसे ठंडा होने के बाद, साफ हाथों से रूई को दबायें और फिर ऑपरेशन की गई आँख की पलकें व कोनों को साफ करें।
  • अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कम से कम 8 दिन तक धूलभरे भीड़-भाड़ इलाकों में जाने से बचें।
  • आँखों को 2 सप्ताह तक गोगल (चश्मा) पहनकर सुरक्षित रखें।
  • ध्यान रहें कि जब आपके आसपास बचे हैं तो उन्हें अपनी आँख के पास न आने दें।
  • भारी वस्तु न उठायें और शौच करने में ज़ोर न लगायें। यदि कब्ज है, तो चिकित्सक से परामर्श करें।
  • 1-2 दिन तक पढ़ने या टेलीविजन देखने से बचें।
  • 2-3 दिनों तक विशेष रूप से ऑपरेशन की गई आँख की तरफ करवट लेकर न सायें।

 

मोतियाबिंद सर्जरी से ठीक होना

आँख की नज़र ठीक होने में आमतौर पर मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कुछ घंटें लगते हैं। हालांकि, मरीज को कुछ सप्ताह तक कुछ सावधानियां बरतनी होती है। ऐसा करने पर सर्जरी के बाद किसी भी तरह के दुष्प्रभाव या जटिलताओं से बचा जा सकता है।

 

मोतियाबिंद सर्जरी के दुष्प्रभाव

अन्य किसी भी सर्जरी की तुलना में मोतियाबिंद की सर्जरी सफल व सुरक्षित रहती है। लेकिन इसके अपने दुष्प्रभाव व जटिलताएं भी हैं।  

सर्जरी के दौरान, यदि पास्टीरीअर लेंस कैप्सूल टूट जाता है तो लेंस के पीछे स्थित नेत्रकाचाभ(vitreous) द्रव में धुंधले लेंस का कुछ अंश प्रवेश कर सकता है। इसलिए इसमें एक और सर्जरी करनी पड़ सकती है। इस ऑपरेशन को पूरा करने और इसे ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगता है।

कभी-कभी मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान आँख में खून बहने की संभावना होती है।

 

मोतियाबिंद सर्जरी से संबंधित जटिलताएं व जोखिम

  • आँख में संक्रमण
  • आँख में सूजन
  • आँख में दबाव
  • कॉर्निया में मामूली धुंधलापन आना
  • रक्त पतला करने की दवा के कारण आमतौर पर आँख में हल्का नीलापन या कालापन आ जाता है।
  • रेटिनल (दृष्टीपटल) डिटैचमेंट (रेटिना अलग होना)
  • ग्लूकोमा (Glaucoma)
  • इंट्रॉओकुलर लेंस का सब्लक्सेशन यानी लेंस का आंशिक या पूर्ण रूप से अलग होना।
  • पलकें गिर या लटक जाना।

 

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद चश्में

ऐसे मरीज जिसे मोतियाबिंद सर्जरी के बाद चश्मा पहनने अच्छा लगता है वे मोनोफोकल लेंस का चयन कर सकते हैं। इस प्रकार के कृत्रिम लेंसों में एक फोकल पॉइंट होता है जिसका नाम अर्थात्- निकट, दूर या मध्यवर्ती दृष्टि है। हालांकि, अब सभी नये-नये आविष्कारों से मोतियाबिंद सर्जरी के बाद चश्मा कम लगाया जा सकता है। मल्टीफोकल या ट्राइफोकल लेंस से चश्में से मुक्ति दिलाने में काफी लम्बी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। अपने मोतियाबिंद शल्य चिकित्सक से इन उपलब्ध उन्नत IOL विकल्पों के बारे में पूछताछ करके, इनके लिए आपकी उपयुक्तता का पता लगाया जा सकता है।

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद जब कभी-भी आपकी आँखों की नज़र कम होने लगे; तो चश्मा पहन लें।

मोतियाबिंद सर्जरी प्रक्रियाएं

लेन्स पायसीकरण

कॉर्निया के किनारे पर एक बहुत छोटा सा चीरा लगाया जाता है और आंख के अंदर एक पतली जांच डाली जाती है। इस जांच के माध्यम से अल्ट्रासाउंड तरंगें पारित की जाती हैं। ये तरंगें आपके मोतियाबिंद को तोड़ देती हैं। इसके बाद टुकड़ों को सक्शन किया जाता है। कृत्रिम लेंस लगाने का प्रावधान करने के लिए आपके लेंस का कैप्सूल पीछे छोड़ दिया जाता है।

इस प्रक्रिया में थोड़ा बड़ा कट लगाया जाता है। आपके लेंस के नाभिक को हटाने के लिए कट के माध्यम से सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं और फिर लेंस के शेष कॉर्टिकल पदार्थ की आकांक्षा की जाती है। कृत्रिम लेंस को फिट करने के लिए लेंस के कैप्सूल को पीछे छोड़ दिया जाता है। इस तकनीक में टांके लगाने की जरूरत पड़ सकती है।

मोतियाबिंद हटा दिए जाने के बाद, आईओएल या इंट्राओकुलर लेंस नामक एक कृत्रिम लेंस लगाया जाता है। यह लेंस सिलिकॉन, प्लास्टिक या ऐक्रेलिक से बना हो सकता है। कुछ आईओएल यूवी प्रकाश को अवरुद्ध करने में सक्षम हैं और कुछ अन्य हैं जो निकट और दूर दोनों दृष्टि सुधार प्रदान करते हैं जिन्हें मल्टीफोकल या ट्राइफोकल लेंस कहा जाता है।

वहां एक है फेमटोसेकंड लेजर तकनीक मोतियाबिंद के ऑपरेशन में सहायता के लिए उपलब्ध है। लेजर की मदद से छोटा सा कट बनाया जाता है और लेंस के सामने के कैप्सूल को हटा दिया जाता है। हालाँकि, फीमेलो लेज़र तकनीक के साथ, हम अभी भी पूर्ण मोतियाबिंद सर्जरी नहीं कर सकते हैं। यह केवल सर्जरी के कुछ शुरुआती हिस्सों में मदद कर सकता है और उसके बाद हमें वास्तविक धुंधले लेंस को हटाने के लिए फेकोइमल्सीफिकेशन मशीन का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।  

आपका नेत्र विशेषज्ञ स्थानीय एनेस्थेटिक ड्रॉप्स का उपयोग करके आपकी आंखों को सुन्न कर देगा। इससे आपकी आंखें सुन्न हो जाती हैं जिससे आपको प्रक्रिया के दौरान दर्द महसूस नहीं होता है।

इस सर्जरी में, धुंधले लेंस को हटा दिया जाता है और लेंस के उसी कैप्सूल में एक नए इंट्रोक्युलर लेंस (IOLs) के साथ बदल दिया जाता है।

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